न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अमरावती Published by: काव्या मिश्रा Updated Thu, 26 Sep 2024 11:52 AM IST
पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी 28 सितंबर को पूजा-अर्चना में भाग लेंगे। इसे लेकर सियासत शुरू हो गई है। राजनीतिक दलों के नेताओं ने उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी – फोटो : ANI
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लड्डू विवाद के बीच, युवाजन श्रमिक रायथु कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी 28 सितंबर को राज्य के मंदिरों में पूजा-अर्चना में भाग लेंगे। पूर्व सीएम रेड्डी का यह एलान उन पर ही भारी पड़ता नजर आ रहा है। अन्य राजनीतिक दल के नेता उन पर निशाना साध रहे हैं। तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने हमला बोला। कहा कि पूर्व सीएम यह दिखाना चाहते हैं कि उन्होंने कोई पाप नहीं किया, जबकि अब सच सबके सामने है।
क्या पूर्व सीएम एसआईसी फॉर्म भरेंगे?
टीडीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम कुमार जैन ने कहा, ‘जानकारी के अनुसार पूर्व सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी 28 सितंबर को तिरुमाला मंदिर आएंगे, जहां वह क्षमा अनुष्ठान का आयोजन करेंगे। हालांकि, प्रसाद में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का उपयोग करने और भक्तों की भावनाओं को आहत करने का अपराध उन्होंने किया है वो माफ करने लायक नहीं है। चाहें वे अनुष्ठान कर लें, माफी मांग ले मगर उन्हें कभी माफ नहीं किया जा सकता। क्या वह एसआईसी फॉर्म भरेंगे और फिर तिरुमाला मंदिर में अपनी भक्ति व्यक्त करेंगे? वह यह सब दिखावा कर रहे हैं। वह जनता को दिखाना चाहते हैं कि उन्होंने कोई पाप नहीं किया है। मगर अब सब सामने आ गया है।’
राजनीतिक दल के आय का स्रोत भ्रष्टाचार
तिरुपति प्रसाद विवाद पर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) सांसद पी संतोष कुमार ने कहा, ‘जहां तक इस विवाद का सवाल है, सभी राजनीतिक दल चाहे वह वाईएसआर कांग्रेस ही क्यों न हो, इनका आय का मुख्य स्रोत भ्रष्टाचार है। चाहे वह भगवान के नाम पर हो या सड़क के नाम पर। इससे वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी के बीच कोई फर्क नहीं रह जाता।’
आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध मंदिर तिरुपति बालाजी के लड्डुओं के घी में कथित तौर पर मछली के तेल और जानवरों की चर्बी मिले के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने प्रसादम के लड्डुओं में मिलावट का दावा किया था। जिसके बाद पूरे देश श्रृद्धालु प्रसादम को लेकर चिंता व्यक्त करने लगे थे। केंद्र सरकार ही नहीं नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी इसे लेकर चिंता जाहिर की थी।
क्या है तिरुपति मंदिर के लड्डू में चर्बी का पूरा विवाद
आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दो दिन पहले लैब रिपोर्ट के हवाले से दावा किया था कि, मंदिर के प्रसादम में प्रयोग होने वाले शुद्ध घी में जानवरों की चर्बी मिली हुई है। भगवान तिरुपति के प्रसादम बनाने में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। लड्डुओं में घी के बजाय जानवरों की चर्बी का उपयोग किया गया। ये मिलावट पिछली सरकार के दौरान दिए गए घी के ठेके के चलते हुई है। सीएम ने कहा था कि इस भ्रष्टाचार में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। इस मामले में सरकार की ओर से कई लोगों के खिलाफ एक्शन भी लिया जा चुका है।
वहीं इस पूरे मामले पर मंदिर समिति तिरुमला तिरुपति देवस्थानम की ओर से भी बयान जारी किया गया। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम मंदिर के एक्जीक्यूटिव ऑफिसर श्यामला राव ने भी स्वीकार किया कि मंदिर की पवित्रता भंग हुई है। पिछली सरकार ने मिलावट की जांच के लिए कोई कदम नहीं उठाए थे। राव ने कहा था कि, जब मैंने टीटीडी की कार्यकारी अधिकारी का पदभार संभाला था, तो मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने खरीदे गए घी और लड्डू की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की थी।
राव ने कहा था, वह चाहते थे कि मैं यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाऊं। हमने इस पर मामले पर काम करना शुरू किया है। तब हमने पाया कि हमारे पास घी में मिलावट की जांच करने के लिए कोई आंतरिक प्रयोगशाला नहीं है। बाहरी प्रयोगशालाओं में भी घी की गुणवत्ता की जांच करने की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा भगवान को चढ़ने प्रयोग किए जा रहे शुद्ध घी कीमत 320 रुपये रखी गई थी। जो संदेह पैदा कर रही थीं। शुद्ध घी की कीमत कम से कम 500 रुपये प्रति किलो होने चाहिए थी।
कैसे हुआ खुलासा?
आंध्र में जून में सत्ता परिवर्तन हुआ था। जिसके बाद चंद्रबाबू नायडू की पार्टी सत्ता में वापस आई है। मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद चंद्रबाबू नायडू ने मंदिर के लड्डुओं में मिलावट की आशंका जाहिर की थी। जिसके बाद मंदिर प्रशासन ने सप्लाई किए गए घी के सैंपल लेकर जांच के लिए गुजरात स्थित डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की लैब ‘सेंटर ऑफ एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइव स्टॉक एंड फूड’ (CALF) भेजे थे। जिसके बाद लैब की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए।
एनडीडीबी लैब की रिपोर्ट से पता चला कि शुद्ध घी में शुद्ध दूध में वसा की मात्रा 95.68 से लेकर 104.32 तक होना चाहिए था। लेकिन सैंपल्स में मिल्क फैट की वेल्यू 20 ही पाई गई थी। जिससे इस मिलावटी घी के बारे में खुलासा हुआ। जिसके बाद बड़ा विवाद उठ खड़ा हुआ। लैब की रिपोर्ट के मुताबिक इन सैंपल में सोयाबीन, सूरजमुखी, जैतून का तेल, गेंहू, मक्का, कॉटन सीड, मछली का तेल, नारियल, पाम ऑयल, बीफ टैलो, लार्ड जैसे तत्व पाए गए हैं। इस घी को चेन्नई की AR डेयरी एंड एग्रो प्रोडक्ट्स नाम की कंपनी ने सप्लाई किया था।
कंपनी को सरकार की ओर से बैन कर दिया गया है। हालांकि कंपनी ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि, जून-जुलाई में जो घी हमने भेजा था। उसका सैम्पल टेस्ट एफएसएसएआई और एगमार्क ने कलेक्ट किया था। टीटीडी की लैब में भी हमारा सैंपल पास हुआ था। मेरे घी में किसी भी तरह की कोई मिलावट नहीं है।
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