Sunday, January 19, 2025
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Home काशीपुराधिपति संग गर्भगृह में विराजेंगे मां दुर्गा के नौ स्वरुप:मंदिर परिसर में कलश स्थापना समेत धार्मिक अनुष्ठान, मां विशालाक्षी समेत सिद्धपीठों में श्रृंगार

काशीपुराधिपति संग गर्भगृह में विराजेंगे मां दुर्गा के नौ स्वरुप:मंदिर परिसर में कलश स्थापना समेत धार्मिक अनुष्ठान, मां विशालाक्षी समेत सिद्धपीठों में श्रृंगार

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श्री काशी विश्वनाथ के धाम में मां दुर्गा की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्रि धूमधाम से मनाया जाएगा। काशीपुराधिपति के गर्भगृह में माता विराजमान होंगी और मंदिर परिसर में कलश स्थापना की जाएगी।

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बाबा के गर्भगृह में प्रतिदिन माता के अलग-अलग स्वरुपों की पूजा अर्चना होगी। धाम में कलश स्थापना के साथ धार्मिक अनुष्ठानों में माता की आराधना होगी। तीन अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग और शुभ मुहूर्त में पांच शास्त्री विधि विधान से मंत्रोच्चार के बीच कलश स्थापित करेंगे।

काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सीईओ विश्वभूषण मिश्रा ने बताया कि शारदीय नवरात्र को काशी विश्वनाथ मंदिर में भव्यता से मनाया जाएगा। मंदिर में कलश स्थापना के साथ ही प्रतिदिन देवी की आराधना के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।

बनारसी लोकगीत पचरा, बंगाली लोक नृत्य धुनुची, महिषामर्दिनी स्तोत्र नृत्य की प्रस्तुति के साथ राम रावण युद्ध समेत कई मंचन किए जाएंगे। पहले दिन शाम को धाम के मंदिर चौक में भजन, बनारसी लोकगीत की प्रस्तुति भी होगी।

दूसरे दिन रामलीला में धनुष यज्ञ का मंचन (मंदिर चौक स्थित सांस्कृतिक मंच, तीसरे दिन राम के हाथों रावण वध का मंचन मंदिर चौक में ही होगा। चौथे दिन बंगाली लोक नृत्य धुनुची की प्रस्तुति ,पांचवें दिन ललिता सहस्रनाम स्तोत्र, 51 शक्तिपीठों को प्रतिबिंबित करती 51 मातृशक्तियां करेंगी। छठवें दिन महिषासुरमर्दिनी स्तोत्र नृत्य, सातवें दिन देवी मां का भजन, आठवें दिन माता के नौ स्वरूपों को दर्शाती 9 कन्याओं द्वारा दुर्गा सप्तशती का पाठ होगा। नौवे दिन प्रातःकाल: यज्ञ, हवन नीलकंठ मंदिर के समीप यज्ञ कुंड पर, सायंकाल: भजन, नृत्य होगी।

यह तस्वीर काशी विश्वनाथ मंदिर के सीईओ विश्वभूषण मिश्रा की है।

यह तस्वीर काशी विश्वनाथ मंदिर के सीईओ विश्वभूषण मिश्रा की है।

विजयदशमी पर शस्त्र और मंचन

CEO विश्वभूषण के अनुसार काशीपुराधिपति के दरबार में पांच अक्टूबर को मंदिर चौक स्थित सांस्कृतिक मंच पर राम में रावण वध का मंचन किया जाएगा। इसके बाद विजया दशमी पर्व पर धाम में प्रातः काल सांकेतिक रूप से शस्त्र पूजा (मंदिर प्रांगण में) की जाएगी। शाम शास्त्रीय युद्ध कला का प्रदर्शन होगा।

नवरात्र में प्रतिदिन पांच शास्त्रियों द्वारा नौ दिन दुर्गा सप्तशती का नियमित पाठ, नवरात्र के नौ दिन विशालाक्षी माता को चुनरी, सोलह श्रृंगार व प्रसाद भेंट, नवरात्र में प्रत्येक दिवस नौ देवियों के अलग-अलग सिद्ध पीठों में चुनरी, सोलह श्रृंगार व प्रसाद भेंट किया जाएगा। दशहरा को भी प्रसाद वितरण होगा।

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