नई दिल्ली. पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार अपने इसी कार्यकाल में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को लागू करेगी. इसके साथ ही मोदी सरकार कांग्रेस के हर दांव की काट निकाल रही है. इन कदमों से विपक्ष को भारी झटका लगने की उम्मीद है. बीजेपी के सूत्रों ने यह भी कहा कि जनगणना की प्रक्रिया भी जल्द शुरू होगी. इसके साथ ही चुनाव के बाद कम से कम समय में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा. सरकार के सूत्रों ने न्यूज18 को बताया कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ ‘एक हकीकत’ होगा. उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से इसे इसी कार्यकाल में लागू किया जाएगा. पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की वकालत की थी और तर्क दिया था कि बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति में बाधा आती है.
पीएम नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में कहा था कि देश को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के लिए आगे आना होगा. प्रधानमंत्री ने राजनीतिक दलों से लाल किले से और राष्ट्रीय तिरंगे को साक्षी मानकर देश की प्रगति सुनिश्चित करने की अपील की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर सूत्रों ने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर एकजुटता शेष कार्यकाल के लिए जारी रहेगी. उन्होंने पार्टियों से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा कि राष्ट्रीय संसाधनों का उपयोग आम आदमी के लिए किया जाए.
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ बीजेपी का एजेंडा
गौरतलब है कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ बीजेपी द्वारा लोकसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में किए गए प्रमुख वादों में से एक है. इस साल मार्च में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय पैनल ने पहले कदम के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी. जिसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने थे. इसके अलावा, विधि आयोग सरकार के सभी तीन स्तरों- लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और नगरपालिकाओं और पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है. जिसकी शुरुआत 2029 से होगी और सदन में अविश्वास प्रस्ताव या अविश्वास प्रस्ताव जैसे मामलों में एकता सरकार का प्रावधान होगा.
कोविंद समिति की रिपोर्ट
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पैनल ने एक साथ चुनाव कराने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की है. इसने पैनल की सिफारिशों को लागू करने पर विचार करने के लिए एक ‘समूह’ के गठन का प्रस्ताव रखा है. पैनल ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की है. जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं के सपोर्ट की जरूरत नहीं होगी. हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की जरूरत होगी. जिन्हें संसद से पास किया जाना जरूरी होगा.
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FIRST PUBLISHED :
September 15, 2024, 22:15 IST