जयपुर. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि देश के ‘विकसित भारत’ के सपने की ओर बढ़ने के साथ ही सबके लिये सरल, सुलभ और सहज न्याय की गारंटी हो, यह बहुत जरूरी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को जोधपुर में राजस्थान हाईकोर्ट के प्लैटिनम जुबली समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “जब हम विकसित भारत के सपना लेकर आगे बढ़ रहे हैं, उसमें हर किसी के लिए सरल, सुलभ और सहज न्याय की गारंटी हो यह बहुत जरूरी है.”
प्रधानमंत्री ने कहा, “आज देश के सपने भी बड़े हैं, देशवासियों की आकांक्षाएं भी बड़ी हैं, इसलिए जरूरी है कि हम नए भारत के हिसाब से नए इनोवेशन करें और अपनी व्यवस्थाओं को आधुनिक बनाएं. ये सबके लिये न्याय के लिये भी उतना ही जरूरी है.” उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि न्याय हमेशा सरल और स्पष्ट होता है, लेकिन कई बार प्रक्रियाएं उसे मुश्किल बना देती हैं. यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम न्याय को ज्यादा से ज्यादा सरल और स्पष्ट बनायें.”
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें संतोष है कि देश ने इस दिशा में कई ऐतिहासिक और निर्णायक कदम उठाये हैं. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने पूरी तरह से अप्रासंगिक हो चुके सैकड़ों अप्रासंगिक (कोलोनियल) कानूनों को रद्द किया है. उन्होंने कहा कि आजादी के इतने दशक बाद गुलामी की मानसिकता से उबरते हुए देश ने भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता को अपनाया है.
उन्होंने कहा, “दंड की जगह न्याय, यह भारतीय चिंतन का आधार भी है. भारतीय न्याय संहिता इस मानवीय चिंतन को आगे बढ़ाती है.” उन्होंने कहा, “भारतीय न्याय संहिता हमारे लोकतंत्र को औपनिवेशिक (कोलोनियल) मानसिकता से आजाद कराती है.” उन्होंने कहा न्याय संहिता की यह मूल भावना ज्यादा से ज्यादा प्रभावी बने, यह दायित्व सभी लोगों पर है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल, आज के भारत में गरीब के सशक्तीकरण का परखा हुआ फॉर्मूला बन रहा है. पिछले 10 वर्षों में इसे लेकर कई वैश्विक एजेंसी और संस्थाओं ने भारत की भरपूर तारीफ की है. डीबीटी से लेकर यूपीआई तक, कई क्षेत्रों में भारत का काम एक ग्लोबल मॉडल बनकर उभरा है. अपने उसी अनुभव को हमें अपनी न्याय प्रणाली में भी लागू करना है. इस दिशा में, प्रौद्योगिकी और अपनी भाषा में कानूनी दस्तावेजों तक पहुंच, ये गरीब के सशक्तीकरण का सबसे प्रभावी माध्यम बनेगा. सरकार इसके लिए दिशा नाम के नवोन्मेषी समाधान को भी बढ़ावा दे रही है.”
उन्होंने कहा, “हमारे कानून के छात्र और अन्य विधि विशेषज्ञ इस अभियान में हमारी मदद कर सकते हैं. इसके अलावा देश में स्थानीय भाषाओं में कानूनी दस्तावेज और अदालतों के फैसले लोगों को मिल सकें, इसके लिए भी काम होने हैं. हमारे सुप्रीम कोर्ट ने इसकी शुरुआत की है. शीर्ष अदालत के मार्गदर्शन में एक सॉफ्टवेयर बना है, जिससे न्यायिक दस्तावेज 18 भाषाओं में अनूदित हो सकते हैं.” प्रधानमंत्री ने ऐसे सभी प्रयासों के लिए न्यायपालिका की भी सराहना की.
Tags: Narendra modi, Rajasthan high court
FIRST PUBLISHED :
August 25, 2024, 23:16 IST