वाराणसी के जैतपुरा स्थित नागकूप की सफाई पूरी हो गई। इसी के साथ कूप के 40 फिट नीचे महर्षि पतंजलि द्वारा स्थापित नागेश्वर महादेव के शिवलिंग का भक्तों ने दर्शन किया। साल में एक बार होने वाले नागेश्वर महादेव के दर्शन को 5 हजार से अधिक श्रद्धालु नागकूप पर
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इस दौरान राज्य सरकार में आयुष मंत्री डॉ दयाशंकर मिश्र दयालु ने भी नीचे उतारकर महादेव का दर्शन किया। इस दौरान पूरा नागकूप क्षेत्र हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज उठा।
नागपंचमी के चौथे दिन होते हैं नागेश्वर महादेव के दर्शन
मंदिर के पुजारी आचार्य कुंदन पांडेय ने बताया- महर्षि पाणिनि और महर्षि पतंजलि की इस तपोस्थली पर नागकूप में कहा जाता है कि महर्षि पतंजलि ने अपने तप से नागेश्वर महादेव की स्थापना की थी। हर नागपंचमी के चौथे दिन। हम इस नागकूप की सफाई करते हैं। इसके लिए हम पंप का इस्तेमाल कर कुंड का सारा पानी बाहर निकाल देते हैं। जिसके बाद करीब 80 फिट नीचे नागेश्वर महादेव के शिवलिंग के दर्शन होते हैं।
चढ़ाया दूध और पानी, 5 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
कुंदन पांडेय ने बताया- कुंड का पानी निकलने के बाद नागेश्वर महादेव का श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद उन्हें दूध चढ़ाया जाता है। जिसके बाद कुछ देर के लिए आम श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति दी जाती है। इस वर्ष श्रृंगार के बाद सीमित समय तक 5 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन- पूजन किया और नागेश्वर महादेव को दूध चढ़ाया।
नागकूप है पाताल लोक का रास्ता
आचार्य चंदन शास्त्री ने बताया- यह कूप पाताल लोक जाने का रास्ता है। राजा परीक्षित को जब सर्प ने डसा था तो उनके पुत्र जन्मेजय ने बड़ा यज्ञ कर सभी सर्पों शुरू की थी। जिससे विचलित होकर नागों के राजा कार्कोटक ने भगवान् इंद्र से उपाय मांगा था। जिसपर उन्होंने शिव की तपस्या को कहा था। इसपर उन्होंने शिव की कठोर तपस्या की जिसके बाद शिव प्रकट हुए और उन्हें अपने अंदर समाहित करने का वरदान दिया जिसके बाद वो इसी कुंड के रस्ते पाताल लोक चले गए। इस लिए इसे कार्कोटक वापी कहते हैं।