तिकड़ी का कमाल! ट्रैफिक जाम से निकला एक आइडिया, 20 लोगों के साथ शुरू किया काम, आज 8300 करोड़ की कंपनी
हाइलाइट्स
रैपिडो को 2017 में पहला निवेश पवन मुंजाल से मिला था. इस स्टार्टअप ने हाल में 12 करोड़ डॉलर का निवेश हासिल किया. 1 अरब डॉलर वैल्यूएशन के साथ यह यूनिकॉर्न बन चुका है.
Rapido Success Story : सुबह ऑफिस की भागदौड़ हो या शाम को घर पहुंचने की जल्दी, देश के करीब 100 शहरों में हजारों लोग रोजाना एक ही ऐप रैपिडो (Rapido) पर अपना साधन खोजते हैं. आज यह स्टार्टअप एक यूनिकॉर्न बन चुका है, जिसकी वैल्यू 1 अरब डॉलर (करीब 8,300 करोड़ रुपये) से भी ज्यादा पहुंच चुकी है. लेकिन, क्या आपको पता है कि महज 9 साल में इतना लंबा सफर तय करने वाले इस स्टार्टअप की शुरुआत ट्रैफिक जाम में फंसने के बाद निकले एक आइडिया से हुई थी.
अब बात ट्रैफिक जाम की हो और बैंगलोर शहर का नाम न आए, ऐसा हो नहीं सकता. जाहिर है इस स्टार्टअप की शुरुआत दुनिया में सबसे ज्यादा ट्रैफिक जाम लगने वाले इसी शहर से हुई. यह साल 2015 की बात है जब रैपिडो को पहली बार लांच किया गया और इसका काम था लॉजिस्टिक्स यानी सामान की डिलीवरी करना. लेकिन, स्टार्टअप के को-फाउंडर में शामिल अरविंद सांका को लगा कि बैंगलोर में ट्रैफिक जाम की वजह से ऑफिस आने-जाने वालों को काफी दिक्कत होती है और कैब का कोई विकल्प देना चाहिए. बस यही आइडिया ने इस स्टार्टअप को सक्सेसफुल कंपनी में बदल दिया.
कमाल है को-फाउंडर्स की तिकड़ी
रैपिडो को शुरू करने वाले तीन युवाओं के आइडिया और समर्पण ने इस र्स्टाटअप को तमाम मुश्किलों से जूझते हुए भी आज यूनिकॉर्न की श्रेणी में पहुंचा दिया. इसके को-फाउंडर्स में शामिल पवन गुंटुपल्ली पहले रेपन लैब्स नाम से स्टार्टअप चलाते थे. उन्होंने आईआईटी खडगपुर से बीटेक किया था. दूसरे को-फाउंडर ऋषिकेश एसआर ने पीईएस यूनिवर्सिटी से बीई डिग्री लेकर काम शुरू किया और वह IMPStant नामक स्टार्टअप के भी को-फाउंडर रह चुके हैं. उनके काम के लिए ‘बेस्ट प्रोजेक्ट ऑफ द ईयर’ अवार्ड से नवाजा जा चुका है. तीसरे को-फाउंडर और मौजूदा सीईओ अरविंद सांका ने ही रैपिडो को बाइक टैक्सी बनाने का आइडिया दिया और उन्होंने आईआईटी भुवनेश्वर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की थी.
20 लोगों के साथ शुरू किया काम
ट्रैफिक को बीट करने और कम खर्च में लोगों को ऑफिस और घर तक पहुंचाने की सुविधा शुरू करने के लिए शुरुआत में 15-20 लोगों को कंपनी ने अपने साथ जोड़ा. यह आइडिया सफल रहा और बैंगलोर शहर में इस तरह की सुविधा की मांग बढ़ने लगी. कंपनी का काम काफी आसान था. कोई भी दोपहिया मालिक अपनी बाइक को कंपनी के साथ रजिस्टर कर काम शुरू कर सकता था.
नहीं मिला कोई निवेशक
रैपिडो रफ्तार पकड़ रही थी और लोगों की डिमांड भी बढ़ रही थी, लेकिन शुरू होने के 2 साल बाद तक कंपनी को कोई निवेशक नहीं मिला. हर बड़े निवेशक को यही डर था कि बाजार में पहले मौजूद ओला-उबर यह छोटा सा स्टार्टअप मुकाबला नहीं कर सकेगा. आखिर साल 2017 में हीरो के प्रबंध निदेशक पवन मुंजाल ने बड़ा दिल दिखाया और कंपनी ने पहला निवेश किया.
आज 100 से ज्यादा शहरों तक पहुंच
कंपनी को एक बार फंडिंग मिली तो पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज देश के करीब 100 शहरों में रैपिडो की राइड सक्सेसफुली चल रही है. इसमें दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, बैंगलोर, चेन्नई और कोलकाता जैसे बड़े शहर भी शामिल हैं. कंपनी के साथ अब तक करीब 20 हजार बाइक का रजिस्ट्रेशन हो चुका है. इस बीच, कंपनी को दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में कुछ कानूनी प्रतिबंधों का भी सामना करना पड़ा.
अब 1 अरब डॉलर की कंपनी
साल 2015 में शुरू होकर यह कंपनी आज 1 अरब डॉलर का बाजार मूल्य प्राप्त कर चुकी है. कंपनी को हाल में ही वेस्टब्रिज कैपिटल से 12 करोड़ डॉलर का निवेश मिला और कंपनी यूनिकॉर्न बन गई. आपको बता दें कि साल 2024 में यूनिकॉर्न बनने वाला रैपिडो तीसरा स्टार्टअप है. इससे पहले जेप्टो और परफिओस भी यूनिकॉर्न बन चुके हैं.
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FIRST PUBLISHED :
July 30, 2024, 13:17 IST