होमन्यूज़इंडियाSupreme Court On Delhi water Crisis: ‘हमें कभी हल्के में नहीं लीजिए…’, जल संकट पर दिल्ली सरकार ने कर दी कौन सी गलती, जिस पर भड़क गया सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court On Delhi water Crisis: ‘हमें कभी हल्के में नहीं लीजिए…’, जल संकट पर दिल्ली सरकार ने कर दी कौन सी गलती, जिस पर भड़क गया सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court On Delhi water Crisis: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली जल संकट पर दाखिल याचिका पर कहा, आपका मामला चाहे जितना भी महत्वपूर्ण क्यों न हो, अदालत की कार्यवाही के बारे में कोई पूर्व राय नहीं बनाएं.
By : पीटीआई- भाषा | Edited By: Prabhanjan Bhadauriya | Updated at : 11 Jun 2024 10:10 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ( Image Source :PTI )
राष्ट्रीय राजधानी में मौजूदा जल संकट को दूर करने के लिए हिमाचल प्रदेश द्वारा दिये गये अतिरिक्त पानी को छोड़ने के लिए हरियाणा को निर्देश देने की मांग करने वाली दिल्ली सरकार की याचिका में त्रुटियां नहीं दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि हमारे बारे में कोई पूर्व राय नहीं बनाएं.
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की अवकाशकालीन बेंच ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा दाखिल याचिका में त्रुटियों के कारण रजिस्ट्री में हलफनामा स्वीकार नहीं किया गया.
बेंच ने कहा, ”आपने त्रुटियां क्यों नहीं दूर कीं? हम याचिका खो खारिज कर देंगे. पिछली तारीख पर भी त्रुटियां गिनाई गई थीं और आपने इन्हें दूर नहीं किया. आपका मामला चाहे जितना भी महत्वपूर्ण क्यों न हो, अदालत की कार्यवाही के बारे में कोई पूर्व राय नहीं बनाएं.”
बेंच ने मामले की सुनवाई 12 जून के लिए स्थगित करते हुए कहा, ”हमें कभी हल्के में नहीं लीजिये. दस्तावेजीकरण स्वीकार नहीं किया जा रहा. आपने अदालत में सीधा दस्तावेजों का पुलिंदा रख दिया और कह रहे हैं कि आप पानी की कमी से जूझ रहे हैं तथा आपने खुद ही आज एक आदेश पारित कर दिया. आप सभी तरह की तात्कालिकता जता रहे हैं और खुद आराम से बैठे हैं. सब कुछ रिकॉर्ड पर आ जाने दीजिए. हम इस पर बुधवार को सुनवाई करेंगे.”
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह मामले पर सुनवाई से पहले सभी दस्तावेज पढ़ना चाहता है क्योंकि अखबारों में बहुत सी चीजों की खबरें आ रही हैं. बेंच ने कहा, ”अगर हम अपने आवासीय कार्यालय में दस्तावेज नहीं पढ़ेंगे तो हम अखबारों में छपी खबरों से प्रभावित होंगे. यह किसी भी पक्ष के लिए अच्छा नहीं है.”
हरियाणा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने सुनवाई की शुरुआत में राज्य सरकार की ओर से दाखिल जवाब पेश किया. शीर्ष अदालत ने दीवान से पूछा कि उन्होंने अब जवाब क्यों दाखिल किया, तो दीवान ने कहा कि दिल्ली सरकार की याचिका में खामियों को दूर नहीं किया गया इसलिए रजिस्ट्री ने जवाब दाखिल करने की अनुमति नहीं दी.
इसके बाद शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि खामियों को दूर कर दिया गया है. शीर्ष अदालत ने पूर्व में कहा था कि दिल्ली में पेयजल की गंभीर कमी एक ‘अस्तित्व संबंधी समस्या’ बन गई है और हिमाचल प्रदेश सरकार को राष्ट्रीय राजधानी और हरियाणा को 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने का निर्देश दिया था ताकि पानी का प्रवाह सुगम हो सके. न्यायालय ने यह भी कहा कि पानी को लेकर किसी प्रकार की कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए. एक क्यूसेक (घन फुट प्रति सेकंड) प्रति सेकंड 28.317 लीटर द्रव के प्रवाह के बराबर होता है.
Published at : 11 Jun 2024 10:10 AM (IST)
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