नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के लिए मंगलवार को जारी मतगणना में भारतीय जनता पार्टी (BJP) अकेले सरकार बनाने के जादुई आंकड़े से दूर है। इस मैजिकल नंबर तक पहुंचने के लिए उसे अपने सहयोगी दलों पर निर्भर रहना होगा। इस कड़ी में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की भूमिका अहम हो गई है। ये दोनों ही किंगमेकर बनकर उभरे हैं। इन दोनों के सहयोग के बिना बीजेपी के लिए सत्ता तक पहुंचने का रास्ता मुश्किल होगा। बिहार के सीएम नीतीश कुमार जनता दल- यूनाइटेड (जदयू) और चंद्रबाबू नायडू तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) का नेतृत्व करते हैं। नीतीश कुमार दल बदलने के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में उनका फैसला तय करेगा कि शेयर बाजार की चाल कैसी रहने वाली है।
बीजेपी को स्पष्ट बहुमत न मिलने से बदला खेल
रुझानों से स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के जवाहरलाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी कर सकते हैं। बीजेपी की अगुआई वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) विपक्षी गठबंधन के मुकाबले बढ़त बनाए हुए है। एनडीए ने सरकार बनाने के लिए जरूरी 272 के आंकड़े को पार कर लिया है। लेकिन, एनडीए में शामिल कई दल पहले विपक्षी गठबंधन का हिस्सा रहे हैं। ऐसे में इनका पाला बदल लेना कोई ताज्जुब की बात नहीं है। ये बीजेपी के साथ कड़ा मोलतोल भी कर सकते हैं। उन्हीं दलों में जदयू भी है।
नीतीश कुमार को राजनीति का माहिर कहा जाता है। हालांकि, उनकी छवि दल बदलू वाली भी है। अपना हित साधने में वह जरा भी संकोच नहीं करते हैं। उनका राजनीतिक कौशल ही है जो वह कम सीटों के बावजूद लंबे समय से बिहार की सीएम कुर्सी पर काबिज हैं। समय-समय पर पलटी मारकर वह अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे हैं। अब केंद्र की सरकार बनाने में भी उनकी भूमिका अहम रहने वाली है।
अपेक्षाओं के बिल्कुल उलट आए नतीजे
एग्जिट पोल के उलट असल चुनावी नतीजे बाजार की अपेक्षाओं के बिल्कुल उलट आए हैं। शनिवार को आए एग्जिट पोल में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत के बाद सोमवार को शेयर बाजार में बंपर तेजी देखने को मिली थी। बीजेपी को क्लीयर मैनडेट के साथ मोदी के पीएम बनने बाजार को उम्मीद थी कि पॉलिसी में निरंतरता रहेगी। अब जब सीन बदल गया है तो बाजार की नजर नीतीश कुमार के फैसले पर है। ऐसे में नीतीश कुमार के फैसले से ही शेयर बाजार की दिशा तय होगी।