Saturday, November 30, 2024
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Home खरगे vs अधीर : कांग्रेस अपने ‘लड़ाकू सिपाही’ का प्रयोग बंगाल में ममता पर दबाव बनाने के लिए कर रही है?

खरगे vs अधीर : कांग्रेस अपने ‘लड़ाकू सिपाही’ का प्रयोग बंगाल में ममता पर दबाव बनाने के लिए कर रही है?

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नई दिल्ली : कांग्रेस नेतृत्व को पश्चिम बंगाल में एक कठिन स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह है कि वह राज्य में अपने ही विद्रोही ‘लड़ाकू सिपाही’ अधीर रंजन चौधरी और वहां उनकी कट्टर प्रतिद्वंद्वी ममता बनर्जी के बीच संतुलन बनाने की सख्त कोशिश कर रही है। एक तरफ अधीर रंजन पश्चिम बंगाल में कांग्रेस प्रमुख हैं तो दूसरी तरफ ममता बनर्जी राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष के इंडिया गुट की अहम हिस्सेदार हैं। अधीर, जो ममता बनर्जी के मुखर आलोचक हैं। अधीर के बयानों पर पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की फटकार के बाद अब प्यार से सवाल उठ रहा है कि आखिर कांग्रेस अपने इस लड़ाकू सिपाही का लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में किस तरह प्रयोग कर रही है।

ममता के खिलाफ अधीर का बयान

अधीर को उस समय रास्ता मिल गया जब कांग्रेस ने राज्य में लोकसभा चुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं किया। पार्टी ने राज्य में ममता की पार्टी की बजाय वाम दलों के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया। राज्य कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन बहरामपुर से पांच बार के लोकसभा सांसद हैं। वे अक्सर ममता बनर्जी के खिलाफ अपने गुस्से से पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व को शर्मनाक स्थिति में डाल देते हैं। पिछले सप्ताह ही अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि ममता बनर्जी पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। वह (ममता) भारतीय जनता पार्टी के साथ जा सकती हैं। अधीर ने यह बात तब कही जब टीएमसी इंडिया गठबंधन के साथ हैं।
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कांग्रेस आलाकमान से टीएमसी की नाराजगी

खास बात है कि कांग्रेस ने अधीर रंजन चौधरी के ज्यादातर शातिर हमलों को नजरअंदाज किया है। इससे तृणमूल नेताओं को काफी निराशा हुई है। टीएमसी कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व पर अपने राज्य के नेता को नियंत्रित करने के लिए कुछ नहीं करने का आरोप लगाती रहती है। हालांकि, अधीर के बीजेपी के साथ ममता के जाने वाले बयान को लेकर खरगे ने फटकार भी लगाई थी। लेकिन ‘लक्ष्मण रेखा’ का उल्लंघन तब हुआ जब राज्य कांग्रेस के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मल्लिकार्जुन खड़गे को निशाना बनाया। उन लोगों ने पार्टी के राज्य मुख्यालय के सामने उनके पोस्टर को स्याही से काला कर दिया। राज्य कांग्रेस प्रमुख की तरफ से विपक्षी दल इंडिया गुट के प्रति ममता की निष्ठा पर सवाल उठाने के बाद खड़गे द्वारा अधीर को कड़ी फटकार लगाना इसकी वजह थी।

खरगे ने इस बार लिया फास्ट ऐक्शन

ममता, जिन्होंने शुरू में कहा था कि अगर वह सत्ता में आती हैं तो वह विपक्षी दलों के भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) को बाहर से समर्थन देंगी। हालांकि, बाद में उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा विरोधी गठबंधन का हिस्सा हैं और केंद्र में अगली सरकार मिलकर बनाएंगी। खरगे ने इस बार तेजी से काम किया और पिछले शनिवार को अधीर को फटकार लगाई। खरगे ने कहा कि ममता बनर्जी गठबंधन के साथ हैं। उन्होंने (ममता) हाल ही में कहा है कि वह सरकार में शामिल होंगी। अधीर रंजन चौधरी फैसला नहीं लेंगे। फैसला मैं और आलाकमान लेंगे और जो सहमत नहीं होंगे वे बाहर जाएंगे। कांग्रेस प्रमुख ने यह भी कहा कि चौधरी यह तय करने वाले कोई नहीं हैं कि भाजपा विरोधी गठबंधन के सत्ता में आने की स्थिति में बनर्जी इंडिया ब्लॉक का हिस्सा होंगी या नहीं।
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अधीर के रुख में बदलाव नहीं

हालांकि, खरगे की कड़ी टिप्पणियों के बावजूद, अधीर ने ममता के खिलाफ अपने रुख से कोई समझौता नहीं किया। उन्होंने कहा कि मैं किसी ऐसे व्यक्ति के पक्ष में नहीं बोल सकता जो मुझे और हमारी पार्टी को बंगाल में राजनीतिक रूप से खत्म करना चाहता है। यह हर कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए एक लड़ाई है।’ खरगे के गुस्से पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अधीर ने कहा कि मैं नहीं चाहता कि राज्य कांग्रेस का इस्तेमाल उनके (बनर्जी के) निजी एजेंडे के लिए किया जाए। इस बीच, राज्य में ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ को गंभीरता से लेते हुए कांग्रेस ने अनुशासनहीनता के कृत्यों पर रिपोर्ट मांगी है। महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने सोमवार को एक सख्त बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि हम इस तरह की गंभीर पार्टी विरोधी गतिविधियों को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अवज्ञा और अनुशासनहीनता के ऐसे सार्वजनिक प्रदर्शन को बर्दाश्त नहीं करेगी। पश्चिम बंगाल के प्रभारी महासचिव को तुरंत इन कृत्यों की एक तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है।

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पहले फटकार अब पुचकार

अब दो दिन बाद ही खरगे ने अधीर रंजन को कांग्रेस का लड़ाकू सिपाही घोषित कर दिया है। खरगे ने चौधरी के बारे में कहा कि वह हमारे लड़ाकू सिपाही हैं। कांग्रेस अध्यक्ष से सवाल किया गया कि क्या कांग्रेस चौधरी को लेकर भी वही गलती कर रही है, जो उसने 1998 में ममता के साथ की थी, जिन्होंने बंगाल में पार्टी कार्यकर्ताओं पर वामपंथियों के ‘अत्याचारों’ के विरोध में अपनी पार्टी बनाने के लिए पार्टी छोड़ दी थी। इस सवाल पर खरगे ने कहा कि मैं किसी एक व्यक्ति के बारे में नहीं बोलना चाहता। चौधरी कांग्रेस पार्टी के एक लड़ाकू सिपाही हैं और पश्चिम बंगाल में हमारे नेता हैं। खरगे ने कहा कि टीएमसी के कुछ नेता वाम दल के साथ कांग्रेस के गठबंधन का मुद्दा उठाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन यह काम नहीं करेगा। खरगे ने कहा कि वे इसे अलग ढंग से पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं होगा क्योंकि कांग्रेस पार्टी मजबूत है और एक दूसरे को समझती है। पश्चिम बंगाल में क्या हुआ है कि कांग्रेस आलाकमान ने वाम दलों के साथ गठबंधन करने का निर्णय लिया है और हम उसी के साथ आगे बढ़ रहे हैं। टीएमसी राज्य में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ रही है जबकि कांग्रेस और वाम दल मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार, मुर्शिदाबाद जिले के अपने गृहनगर बहरामपुर में रहने वाले चौधरी ने घटना पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने इस संबंध में पार्टी कार्यकर्ताओं से पुलिस में शिकायत दर्ज कराने को कहा। पश्चिम बंगाल कांग्रेस ने राज्य पुलिस को दी अपनी शिकायत में कहा कि कुछ अज्ञात उपद्रवियों के एक समूह ने कल ”प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय, विधान भवन के गेट के सामने लगे बैनर सहित राज्य भर के कई बैनरों में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की तस्वीरों को काली स्याही से विरूपित कर दिया।

26 साल बाद अधीर का ममता वाला राग

1998 में, ममता बनर्जी ने बंगाल में पार्टी कैडरों पर वामपंथी ‘अत्याचारों’ के खिलाफ सबसे पुरानी पार्टी की निष्क्रियता का विरोध करने के लिए अपनी पार्टी बनाने के लिए कांग्रेस छोड़ दी थी। लगभग 26 साल बाद, अधीर भी वही राग अलाप रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि सरकार ममता बनर्जी की है और लेफ्ट अब कांग्रेस के साथ है। अब सवाल है कि क्या सबसे पुरानी पार्टी ममता के प्रति अपना रुख बदलेगी? खैर, यह संभवतः 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजों पर निर्भर करेगा। तब तक, वह शायद ममता पर दबाव बनाए रखने के लिए अपने ‘लड़ाकू सिपाही’ का इस्तेमाल करके खुश है।

अनिल कुमार

लेखक के बारे में

अनिल कुमार

अनिल पिछले एक दशक से अधिक समय से मीडिया इंडस्ट्री में एक्टिव हैं। दैनिक जागरण चंडीगढ़ से 2009 में रिपोर्टिंग से शुरू हुआ सफर, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, अमर उजाला, जनसत्ता.कॉम होते हुए नवभारतटाइम्स.कॉम तक पहुंच चुका है। मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं लेकिन पढ़ाई-लिखाई दिल्ली से हुई है। स्पोर्ट्स और एजुकेशन रिपोर्टिंग के साथ ही सेंट्रल डेस्क पर भी काम करने का अनुभव है। राजनीति, खेल के साथ ही विदेश की खबरों में खास रुचि है।… और पढ़ें

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