होमन्यूज़विश्वनाइजर में अमेरिका-रूस के बीच छिड़ी जंग: इस्लामिक देश में US आर्मी को खदेड़ने के लिए क्यों पहुंची पुतिन की स्पेशल फोर्स?
साल 2014 में नाइजर और अमेरिका के बीच एक समझौता हुआ. समझौता का मकसद फ्रांसिसी सैनिकों को देश से बाहर निकालने के लिए था. 1960 से पहले नाइजर में फ्रांसिसी हुकूमत थी.
By : एबीपी न्यूज़ डेस्क | Updated at : 06 May 2024 11:22 AM (IST)
नाइजर में अमेरिकी और रूसी सेना के बीच जंग ( Image Source :नाइजर में अमेरिकी और रूसी सैनिकों के बीच जंग )
यूक्रेन के साथ युद्ध के बीच रूस एक और जंग की तरफ बढ़ रहा है. उसकी यह जंग अमेरिका के साथ है. दोनों देशों की सेनाएं पश्चिमी अफ्रीकी देश नाइजर में एक-दूसरे के आमने-सामने खड़ी हैं. अमेरिका पहले ही यूक्रेन पर रूस के रुख से खफा है और वह दो साल से जारी इस जंग में यूक्रेन को हथियारों की भी मदद कर रहा है. शनिवार (3 मई) को एक अमेरिकी अधिकार ने बताया कि रूसी सैनिकों ने नाइजर के एक हवाई अड्डे में प्रवेश किया है, जहां पर पहले से अमेरिकी जवान तैनात हैं. ऐसे में दोनों देशों के बीच फेस ऑफ की स्थिति पैदा हो गई है.
पिछले एक महीने से ही रूस नाइजर में अपनी सैन्य उपस्थिति को बढ़ाने में लगा है. रूसी सैन्य सामग्री और जवानों को भेजने का सिलसिला एक महीने से जारी है और अब अमेरिकी सेना के साथ उसकी जंग कभी भी शुरू हो सकती है. दरअसल, नाइजर की सत्ता इस वक्त सैन्य जुंटा के हाथ में है और वह अमेरिकी सैनिकों को देश से निकालना चाहती है. इसी के चलते रूसी सैनिकों की मौजूदगी यहां बढ़ी है. देखने वाली बात ये है कि पहले नाइजर के साथ एक समझौते के तैनात अमेरिकी सैनिक वहां तैनात किए गए थे. सैनिकों ने देश के उन विद्रोहियों के खिलाफ जंग लड़ी, जो हजारों लोगों की हत्या और विस्थापित होने के लिए जिम्मेदार हैं.
क्यों अमेरिकी सैनिकों को बाहर निकाला चाहता है नाइजर का मिलिट्री जुंटा?
अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ ये जंग नाइजर में पिछले साल तख्तापलट के बाद शुरू हुई है. नाइजर के साथ हुए समझौते के तहत अमेरिकी सेना और नागरिक स्टाफ नाइजर में तैनात हो सकते हैं, लेकिन मिलिट्री जुंटा खत्म कर चुका है. समझौता खत्म कर अपने 1000 सैनिकों को वापस बुलान के लिए अप्रैल में अमेरिका ने भी सहमति दे दी थी, लेकिन अभी दोनों सरकारों के बीच बातचीत चल रही है और इस बीच रूसी सेना नाइजर पहुंच गई.
क्यों अमेरिका के साथ नाइजर ने किया था समझौता?
साल 2014 में नाइजर ने फ्रांसिसी सैनिकों को देश से निकालने के लिए अमेरिका के साथ समझौता किया था. नाइजर में पहले फ्रांसिसी हुकूमत थी और 1960 में उसे इससे आजादी मिली. पिछले साल 26 जुलाई को नेशनल कमेटी फॉर द सेल्वेशन ऑफ द पीपुल (CNSP) के अधीन काम करने वाले डिफेंस एंड सिक्योरिटी फोर्सेज राष्ट्रपति मोहम्मद बजूम को कुर्सी उतारकर सत्ता पर काबिज हो गई. यह चौथी बार था जब सेना ने लोकतांत्रिक सरकार को कुर्सी से उतार दिया. इस तख्तापलट के बाद नाइजर की मिलिट्री जुंटा ने अमेरिका के साथ हुए समझौते को खत्म कर दिया और अभ वह अमेरिकी सेना को देश से निकालना चाहती है, जिसमें उसकी मदद के लिए रूस आगे आया है.
नाइजर में अमेरिकी सेना का 100 मिलियन डॉलर का ड्रोन बेस
नाइजर में इस समय 1000 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. रिपोर्ट्स का कहना है कि देश की राजधानी नियामी में डिओरी हमानी अंतरराष्ट्रीय सैन्य एयरबेस 101 पर एक तरफ अमेरिकी सैनिक हैं और दूसरी तरफ रूस के जवान हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एयरबेस 101 पर रूसी सेना एक अलग हैंगर का उपयोग कर रही थी. अमेरिका के रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने संकेत दिए थे कि रूसी सैनिकों को नियामी के पास एयरबेस में तैनात किया गया है, जहां पहले से अमेरिकी जवान तैनात है. अगाडेज के पास अमेरिकी सेना का ड्रोन बेस भी था, जिसे 100 मिलियन डॉलर में बनाया गया था.
1 महीने से नाइजर में रूस भेज रहा सैन्य सामग्री
पहले 10 अप्रैल को रूस के 100 सैन्य सलाहाकरों का जत्था नाइजर पहुंचा था. अफ्रीकी न्यूज चैनल टेले साहेल ने बताया कि शनिवार को दो रूसी मिलिट्री ट्रांसपोर्टर नाइजर पहुंचे और पिछले महीने रूस ने प्रशिक्षकों के साथ सैन्य सामग्री से भरे मालवाहक भी नाइजर पहुंचे थे. नाइजर की मिलिट्री जुंटा को रूस का करीबी माना जाता है. रूस के रक्षा मंत्रालय ने जनवरी में नाइजर के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने का ऐलान किया था.
यूक्रेन के खिलाफ रूस के रुख पर अमेरिका को आपत्ति
साल 2021 से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है, जिसमें अमेरिका ने यूक्रेन को सैन्य मदद की. पिछले महीने अमेरिकी रक्षा विभाग ने बताया था कि यूक्रेन को सैन्य मदद की 56वीं किश्त भेजी गई, जिसमें तोपखाने, मोर्टार और गोला-बारूद शामिल हैं. रविवार को अमेरिका ने रूस पर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रासायनिक हथियार के इस्तेमाल का भी आरोप लगाया है और कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है. अमेरिका ने कहा कि रूस ने युद्ध में बढ़त हासिल करने के लि चोकिंग एजेंट क्लोरोप्रिकिन का इस्तेमाल किया है.
Published at : 06 May 2024 09:34 AM (IST)
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