Tuesday, February 25, 2025
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Home 800 में एक किलो आटा, 25 रुपये में रोटी… पाकिस्तान में फिर कैसे बिगड़ने लगे हालात?

800 में एक किलो आटा, 25 रुपये में रोटी… पाकिस्तान में फिर कैसे बिगड़ने लगे हालात?

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एक बार फिर से पाकिस्तान की आर्थिक सेहत बिगड़ने लगी है. वहां खाने-पीने की चीजों की कीमतें आसमान छू रहीं हैं. आलम ये है कि आटा और रोटी जैसी चीजों की कीमतें इतनी बढ़ गई हैं कि आम लोगों के लिए इसे खरीद पाना मुश्किल होता जा रहा है.

कराची में एक छोटी सी दुकान चलाने वाले अब्दुल हामीद ने न्यूज एजेंसी को बताया कि खाने-पीने के सामान की कीमत लगातार बढ़ रही है और सरकार आम जनता की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है.

अब्दुल हामीद ने बताया, ‘लोग बड़ी मुश्किल से गुजर-बसर कर रहे हैं और सरकार को इसकी चिंता ही नहीं है. हम अपने परिवार के लिए बुनियादी सुविधाएं भी नहीं जुटा पा रहे हैं और हमारे नेता मजे कर रहे हैं. बिजली, पानी और गैस जैसी बुनियादी जरूरतें महंगी हो गईं हैं. हमने गलत लोगों को वोट दे दिया. वो लोग हमारी जरूरतों पर ध्यान दिए बगैर मजे कर रहे हैं.’

लोगों का आरोप है कि पाकिस्तान के सारे संसाधन अमीर को और अमीर बनाने के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं, जबकि आम जनता हर दिन संघर्ष कर रही है.

पाकिस्तान में कैसे हैं हालात?

न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, कराची में एक किलो आटा 800 रुपये पाकिस्तानी रुपये का मिल रहा है. जबकि, पहले 230 रुपये था. इतना ही नहीं, एक रोटी की कीमत 25 रुपये पहुंच गई है. 

वैसे तो ये पाकिस्तानी रुपये में है, लेकिन अगर भारतीय करंसी के हिसाब से देखें तब भी वहां एक किलो आटा 238 रुपये का मिल रहा है. 

कराची के दुकानदार अब्दुल हमीद ने बताया कि आज बाजार में एक रोटी की कीमत 25 पाकिस्तानी रुपये से ज्यादा हो गई है. एक गरीब व्यक्ति किसी भी तरह अपने परिवार के लिए ये खर्च नहीं उठा सकता. प्रशासन को लोगों के बारे में थोड़ा सोचना चाहिए.

कराची के एक प्राइमरी स्कूल के टीचर अब्दुल जब्बार ने बताया कि बुनियादी चीजें अब हमारी पहुंच से बाहर हैं. गैस का ही उदाहरण लें, वो हमें बेवकूफ बनाते रहते हैं कि सरकार एलपीजी की व्यवस्था कर रही है. मैं एक शिक्षक हूं और अपने छात्रों को यही सिखाता हूं कि हमारे देश में प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है, लेकिन मुझे खुद नहीं पता कि ये सच है या नहीं, क्योंकि हमारे पास भरपूर मात्रा में संसाधन होते तो गैस इतनी महंगी नहीं होती.

उन्होंने कहा, ‘कुछ समय पहले तक आटा 230 रुपये प्रति किलो मिलता था, अब इसकी कीमत 800 रुपये के पार पहुंच गई है. एक व्यक्ति जो हर दिन 500 रुपये कमाता है, वो अपने परिवार के लिए हर दिन के खाने का इंतजाम कैसे करेगा?’

(फाइल फोटो- Reuters)

खाना-पीना-रहना… सब महंगा

स्थानीय अखबार ‘डॉन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान इस वक्त जबरदस्त महंगाई से जूझ रहा है. हालिया महीनों में यहां महंगाई दर 38 फीसदी तक बढ़ गई है, जो साउथ एशिया में सबसे ज्यादा है. खाद्य महंगाई दर भी 48 फीसदी तक पहुंच गई है, जो 2016 के बाद सबसे ज्यादा है.

पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एक साल में खाने-पीने से लेकर बिजली और गैसी जैसी बुनियादी जरूरतों की कीमतें कई गुना बढ़ गईं हैं.

इसके मुताबिक, शहरी इलाकों में एक साल में टमाटर 188%, प्याज 84%, सब्जियां 55%, मसाले 49%, गुड़ 44%, शक्कर 37%, आलू 36%, आटा 32% और मीट 22% से ज्यादा महंगा हो गया है. जबकि, गैस की कीमतें 319%, बिजली 73%, फर्नीचर 22% और किताबें 34% से ज्यादा बढ़ गई हैं.

जिस तरह से शहरी इलाकों में कीमतें बढ़ रही हैं, गांवों में भी लगभग ऐसे ही हालात हैं. वहां भी सालभर में आलू, प्याज, टमाटर, गैस, बिजली सब महंगी हो गई है.

(फाइल फोटो- Getty Images)

पर ऐसा क्यों?

इसकी सबसे बड़ी वजह है पाकिस्तान पर बेतहाशा कर्ज बढ़ना और अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को कर्ज देने के लिए कुछ शर्तें रखी थीं. इन शर्तों में से एक सब्सिडी को खत्म करना भी शामिल था.

आईएमएफ की शर्त के कारण पाकिस्तान की सरकार ने सब्सिडी को खत्म कर दिया है, जिससे खाने-पीने की चीजों से लेकर बुनियादी जरूरतों की चीजें महंगी होती जा रहीं हैं.

इसके अलावा, एक साल में पाकिस्तानी करंसी भी 50 फीसदी से ज्यादा कमजोर हो गई है. इस कारण आयात महंगा हो गया है. 

एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) ने अप्रैल में ही एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि इस साल पाकिस्तान की आर्थिक विकास दर 1.9 फीसदी रहने की उम्मीद है. जो म्यांमार, अजरबैजान और नाउरू के बाद सबसे कम होगी.

पाकिस्तान लंबे समय से ही मंदी से जूझ रहा है. वर्ल्ड बैंक ने भी हाल ही में कहा था कि अर्थव्यवस्था को कोई भी झटका एक करोड़ लोगों को गरीबी की ओर धकेल दे सकता है. जबकि, पहले ही पाकिस्तान की लगभग 10 करोड़ आबादी गरीबी में जी रही है.

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