Tuesday, February 25, 2025
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Ground Report: हैदराबाद सीट पर अभी तक अजेय थे असदुद्दीन ओवैसी, इस बार मिल रही कड़ी चुनौती

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Ground Report: Asaduddin Owaisi was invincible on Hyderabad seat, now he is facing a tough challenge

ओवैसी और माधवी लता – फोटो : एएनआई (फाइल)

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चार बार के सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी हैदराबाद लोकसभा का चुनाव कभी लड़े नहीं, बस जीते ही हैं। जीत का अंतर भी लाखों में…। कोई पार्टी उनके सामने इतना दमदार उम्मीदवार ही नहीं उतार पाई कि उन्हें चुनाव लड़ना पड़ता। तभी, वह 20 साल से अजेय हैं। उनके पिता भी 20 साल तक यूं ही जीतते आए थे। हालांकि, इस बार का मामला अलग है। उनका सीधा मुकाबला भाजपा की डॉ. माधवी लता से है। वह राजनीति में नई हैं, लेकिन वाकपटुता में निपुण। तभी, पांचवीं बार जीतने के लिए ओवैसी को डटकर  चुनाव लड़ना पड़ रहा है।

हैदराबादियों का ओवैसी परिवार की तीन पीढ़ियों से सियासी रिश्ता है। मौजूदा सांसद ओवैसी के दादा अब्दुल वाहिद ओवैसी ने 1957 में हैदराबाद नगर निगम से सियासत शुरू की थी। उन्होंने बिखरी पड़ी मजलिस और कौम को एक सूत्र में पिरोया। ओवैसी के पिता सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी 1980 से 1999 तक लगातार छह बार सांसद चुने गए। ओवैसी की सियासी राह हमेशा फूलों से ही भरी रही। 

वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र बताते हैं कि ओवैसी के पिता को 1996 में भाजपा के वेंकैया नायडू और 1999 में बी.बाल रेड्डी से तगड़ी चुनौती मिली थी। फिर, फासला बढ़ता गया। 2008 में हैदराबाद सीट का परिसीमन हुआ और ग्रामीण अंचल के तंदूर, विकाराबाद और चेवल्ला विधानसभा क्षेत्र कट गए। इससे हैदराबाद सीट पुराने शहर तक सिमट गई। यहां से उन्हें हरा पाना बेहद कठिन है। 

इस तर्क के पीछे मजबूत वजह यह है कि हैदराबाद की सात विधानसभा सीटों में से छह पर ओवैसी की पार्टी ही काबिज है। उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी यहीं की चंद्रयानगुट्टा से विधायक हैं। भाजपा सिर्फ गोशामहल से जीती, जहां के विधायक टी. राजा सिंह खुद लोकसभा का टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने डॉ. माधवी लता को दे दिया। इससे वह जाहिरा तौर पर नाखुश हैं। 

भाजपा के लिए चुनौती यही नहीं है। ओवैसी की पिछले चुनाव में ढाई लाख मतों से जीत हुई थी। इस खाई को पाटना आसान नहीं है। माधवी लता आरोप लगा रही हैं कि ओवैसी फर्जी मतों के सहारे जीतते आए हैं। हालांकि, इस बार हजारों की संख्या में वोट काटे भी गए हैं। बावजूद इसके ओवैसी की ताकत का विरोधियों को पूरा अंदाजा है। तभी, माधवी लता के नामांकन के लिए केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने रोड शो भी किया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर प्रबुद्ध सम्मेलन तक कर चुके हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई नेताओं के कार्यक्रम भी तय हैं। साफ है कि ओवैसी के लिए भाजपा खुला मैदान नहीं छोड़ने वाली।

ताजा चुनौतियां ओवैसी भी समझ रहे हैं। तभी, समर्थकों का उत्साह बरकरार रखने के लिए पहली बार उन्होंने जुलूस निकालकर नामांकन किया। गली-गली प्रचार के दौरान बीफ शॉप जिंदाबाद जैसे नारे भी लगाए। इसकी आलोचना हुई, तो सफाई में कहा कि वह इडली शॉप जिंदाबाद भी कहते हैं। चुनावी माहौल गरमाने से उनके समर्थक जोश में हैं। 

हार-जीत के तर्क
संतोष नगर के सैयद अरबाज कहते हैं कि देश में पेट्रोल खत्म हो सकता है, पर हैदराबाद से ओवैसी नहीं। उनकी जीत पक्की है। लोग उन्हें मुसलमान होने के नाते वोट देते हैं। भाजपा प्रत्याशी ने धार्मिक स्थल पर तीर चलाने का जो इशारा किया था, वह उन्हीं पर लगेगा। चारमीनार पर मिले वेंकटेश कहते हैं कि ओवैसी इसलिए जीतते हैं, क्योंकि मुसलमान पढ़े-लिखे नहीं हैं। ओवैसी फिर जीत रहे हैं…? होटल व्यवसायी कदीरुद्दीन कहते हैं, क्या फर्क पड़ना है। पीएम मोदी भी हिंदू-मुसलमान कर रहे हैं, ओवैसी भी। बेरोजगारी देखो कहां आ गई। मंदिर-मस्जिद बनाने से यह घट गई क्या? मुझे तो दोनों मिले लगते हैं।

माधवी लता का तीर सबको चुभा
रामनवमी के दिन बेगम बाजार इलाके में माधवी लता के तीर की गूंज चौतरफा है। इस तीर को अपने चुनावी तरकश पर रखते हुए ओवैसी ने भाजपा पर निशाना साधा। कहा, यह भाजपा की घृणा फैलाने वाली मानसिकता का सबूत है। वैसे, इस तीर की चुभन माधवी लता को भी महसूस हो रही है। उन्होंने इसे ‘अमन का तीर’ बताकर सफाई दी, माफी तक मांगी। हुंकार भरने वाली माधवी के नरम पड़ने की वजह पसमांदा मुसलमान हैं, जिनका समर्थन पाने की वह जद्दोजहद में लगी हैं। 

डमी ही दिखे कांग्रेस-बीआरएस प्रत्याशी 
ओवैसी को भाजपा की बी-टीम बताने वाली कांग्रेस उनके खिलाफ कभी मजबूत प्रत्याशी नहीं उतार पाई। यही स्थिति बीआरएस की भी रही है। कहा जाता है कि ओवैसी खुलेआम कुछ भी कहें, तेलंगाना में जिसकी सरकार होती है, उससे मिलकर ही चलते हैं। पहले बीआरएस के करीब थे, अब कांग्रेस के हैं। माधवी लता कहती हैं, कांग्रेस ने जिलाध्यक्ष मो. वलीउल्लाह समीर को डमी रूप में ही उतारा है। बीआरएस से जी. श्रीनिवास यादव भी बस नाम के ही प्रत्याशी हैं।

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