Thursday, November 28, 2024
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Supreme Court: 14 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात का आदेश वापस, डॉक्टर से बात के बाद बदला माता-पिता का मन

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Supreme Court: 14 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता के माता-पिता ने गर्भावस्था की पूरी अवधि तक इंतजार करने का फैसला लिया है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने अपने उस आदेश को वापस ले लिया, जिसमें नाबालिग को गर्भ गिराने की इजाजत दी गई थी।

SC recalls order on termination of pregnancy as parents of minor rape victim change mind

सुप्रीम कोर्ट (फाइल) – फोटो : एएनआई

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने उस आदेश को वापस ले लिया, जिसमें 14 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता को गर्भ गिराने की इजाजत दी गई थी। पीड़िता के माता-पिता का मन बदलने के बाद शीर्ष अदालत द्वारा अपना पुराना आदेश वापस लेना पड़ा। अदालत ने 22 अप्रैल को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग किया था। अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को किसी भी मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक आदेश पारित करने का अधिकार देता है। उस समय कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता को अपनी गर्भावस्था समाप्त करने की अनुमति देते हुए कहा था कि नाबालिग का कल्याण ‘सर्वोपरि महत्व’ है। 

गर्भावस्था की पूरी अवधि तक इंतजार करेंगे माता-पिता
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और नाबालिग लड़की के माता-पिता के वकील से बातचीत की गई। मामले से जुड़े वकीलों ने कहा कि नाबालिग के माता-पिता ने गर्भावस्था की पूरी अवधि तक इंतजार करने का फैसला लिया है। इस दौरान माता-पिता ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायाधीशों के साथ बातचीत की। इसके बाद सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने अभिभावकों की दलीलें स्वीकार कर 22 अप्रैल का आदेश वापस ले लिया।

मां का हित सर्वोत्तम है- सीजेआई
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि मां का हित सर्वोत्तम है। इस मामले में अब डॉक्टरों को निर्णय लेना है और उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इससे पहले कोर्ट में माता-पिता के वकील ने कहा कि नाबालिग की मां ने अपना रुख नहीं बदला है। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मेरे चैंबर वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा है, जहां हम सायन अस्पताल में मां और डॉक्टरों से बात कर सकते हैं और फिर फैसला कर सकते हैं। इसके बाद चैंबर में माता-पिता ने नाबालिग की सुरक्षा और भलाई को ध्यान में रखते हुए गर्भावस्था को बनाए रखने का फैसला किया।

शीर्ष अदालत ने रद्द किया था बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने नाबालिग की गर्भावस्था को समाप्त करने की याचिका को खारिज करने के चार अप्रैल के बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया था। अदालत ने अस्पताल के डीन को गर्भपात करने के लिए तुरंत डॉक्टरों की एक टीम गठित करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट में नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की मां द्वारा याचिका दायर की गई थी। याचिका में गर्भावस्था को समाप्त करने की प्रार्थना को अस्वीकार करने के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी।

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